
नाम सुनते ही रूह काँप जाती है, बदन का रोयाँ-रोयाँ खड़ा हो जाता है, दिल
में एक अलग तरह की सनसनी पैदा हो जाती है, हम यह सोच भी नहीं सकते है कुछ
अरसे पहले ही 4 सितम्बर 1987 को रूप कँवर पत्नी माल सिंह शेखावत कि चिता पर
जिन्दा बैठकर सती हुयी और कहा जाता है उस वक़्त चिता को ज्योत हाथो से नही
दीगई थी असमान से चुनरी उठी और ज्योत लग गयी देवराला, जिला सीकर सती हुए
थी.
शादी के बाद पति के साथ रूप कंवर।
अपने पति माल सिंह जी शेखावत (24) के निधन के बाद रूप कँवर (18) ने सती होने का सोचा और इनके पीछे कोई संतान नहीं थी इन्हे राजस्थान और भारत वर्ष कि आखिरी सती माना जाता है सती होने के बाद
आपके परिवार पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी सरकार ने 39 व्यक्तियों
के खिलाफ मुकदमा राजस्थान उच्च न्यायालय में दर्ज करवाया था। उस समय यह
विश्व में चर्चित घटना थी। उसके बाद कहीं भी कोई महिला सती नहीं हुई है।
राजपूत युवाओं ने तलवारों से "सती स्थल" की रक्षा की ।
आजादी के बाद राजस्थान में कुल 29 सती हुयी है इनमे रूपकंवर आखिरी है इस घटना ने काफी तुल पकड़ा था 39 राजपूतो पर केस लगे उसके बाद भारत के
सविंधान में बदलाव किये गए।
चुनरी समारोह में 13 दिनों से 1987 में Deorala में अपने पति माल सिंह शेखावत की चिता में रूप कंवर के सती होने के बाद आयोजित की।
हजारो राजपूत जयपुर की सड़को पर तलवारे लेकर
उतरे पूरी दुनिया कि मीडिया ने इश पर काफी प्रोग्राम किये बीबीसी जैसे
प्रतिष्ठीत चैनल तो दीवराला गावे में डेरा डेल हुए थे मुक़दमे आज भी अदालत
में चल रहा है जिसमे 11 जेन बरी कर दिए गए है! सती माँ का मंदिर दीवराला गाव में मौजूद है!
No comments:
Post a Comment